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April 18, 2025 5:09 pm

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सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला हरियाणा सहित देश की बन चुका पहचान, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को कर रहा साकार – मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

सूरजकुंड मेले में मुख्यमंत्री नायब सैनी का स्वागत करते कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा
सूरजकुंड मेले में मुख्यमंत्री नायब सैनी का स्वागत करते कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा
सूरजकुंड मेले में मुख्यमंत्री नायब सैनी का स्वागत करते कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा

सूरजकुंड, फरीदाबाद। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सूरजकुंड और सूरजकुंड का यह अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला। केवल हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की पहचान बन चुका है। यह मेला हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को भी साकार करता है और शिल्प के साथ साथ हमारी संस्कृति को भी दुनिया के सामने रखने का अवसर देता है। उन्होंने इस मेले के आयोजन के लिए हरियाणा पर्यटन विभाग, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय, वस्त्र, संस्कृति और विदेशी मामले मंत्रालयों और सूरजकुण्ड मेला प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इस मेले में एक राज्य को थीम स्टेट और एक देश को भागीदारी देश बनाया जाता था। इस बार मेले को ‘शिल्प महाकुम्भ’ का आकार देने के लिए पहली बार मेले में दो राज्यों-ओडिशा और मध्यप्रदेश को थीम स्टेट बनाया गया है। सात देशों के संगठन बिम्सटेक को भी भागीदार बनाया गया है। बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। भले ही ये सात अलग-अलग देश हैं, लेकिन इनकी संस्कृति में समानता है और हम सबके हित एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन देशों की शिल्पकला बहुत समृद्ध है।
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए यह गर्व की बात है कि इस समय प्रयागराज में भी आध्यात्मिक शिल्प के प्रतीक भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का महान पर्व ‘महाकुम्भ’ चल रहा है। इसमें लाखों साधु-संत अपने वर्षों के त्याग और तप से मानव समाज के कल्याण को समर्पित होते हैं। वहीं, दूसरी ओर इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में सैकड़ों ऐसे शिल्पकार मौजूद हैं, जिन्होंने वर्षों के अथक प्रयास और साधना से अपनी शिल्प कला को निखारा है। इन्होंने हमारी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति को अपने उत्पाद के माध्यम से विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया है। वैसे भी शिल्प का मानव सभ्यता और संस्कृति को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान है। संसार की सभी प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास शिल्प के इतिहास को भी प्रकट करता है। मानव-जीवन में कला, संस्कृति और संगीत का बहुत महत्व है। यह मेला भी इसी महत्व को दिखाने वाला मंच है।

सीएम ने पैदल घूम कर देखा मेला
सीएम ने पैदल घूम कर देखा मेला

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला पिछले 37 वर्षों से शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों के लिए अपना हुनर प्रदर्शित करने का बेहतरीन मंच रहा है। यह मेला परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी है, जो भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया-भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हरियाणा सरकार प्रदेश में शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के मंच प्रदान कर रही है। इस शिल्प मेले के अलावा जिला स्तर पर सरस मेले लगाए जाते हैं, जिनमें शिल्पकारों और बुनकरों को अपनी शिल्पों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। कुरुक्षेत्र में हर साल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर भी भव्य सरस मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर के शिल्पकार शामिल होते हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव पर भी सरस मेलों का आयोजन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि हमने माटी कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ‘माटी कला बोर्ड‘ का गठन किया है। श्री विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय में भी परंपरागत शिल्पों में प्रशिक्षण दिया जाता है। शिल्पकार, बुनकर, कारीगर व कलाकार बहनों द्वारा तैयार माल को बेचने की सुविधा प्रदान करने के लिए ‘स्वापन आजीविका मार्ट‘ का आयोजन भी किया जाता है। राज्य स्तरीय स्वापन मार्ट के आयोजन के अलावा जिला स्तर व उपमण्डल स्तर पर भी ‘स्वापन आजीविका मार्ट‘ का आयोजन किया जाता है। ये मार्ट प्रदेश के शिल्प उत्पादों को पहचान दिलाने तथा हरियाणा के स्वयं सहायता समूहों के स्थानीय कारीगरों एवं शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और उत्पादों के बेचने का अवसर प्रदान करने का एक बेहतरीन मंच हैं। शिल्प मेले शिल्पकारों व कलाकारों की प्रतिभा को निखारने व उनके उत्पादों की बिक्री सीधे ही खरीददारों को बेचने का अवसर देते हैं। साथ ही ये पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं।

NCR Plus News
Author: NCR Plus News

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